UP Teacher Digital Attendance Order: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बड़ा फैसला सुनाया है न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की ओर से दिए गए आदेश के अनुसार शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस लगाई जाने के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया है जोकि शिक्षकों की उपस्थिति को सुनिश्चित कर सके और जमीनी स्तर पर व्यावहारिक हो आगे कोर्ट में स्पष्ट किया कि शिक्षण कार्य बिना शिक्षकों की उपस्थिति के संभव ही नहीं है ग्रामीण इलाकों के बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है ऐसा करना शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा।
कोर्ट ने कहा तकनीकी युग में डिजिटल अटेंडेंस जरूरी
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आजादी के बाद से अब तक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए गए हैं न ही इसको लेकर कोई सिस्टम तैयार किया गया है अब तकनीकी युग आ चुका है और शिक्षकों की उपस्थिति वर्चुअल या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दर्ज होनी चाहिए जिससे शिक्षण कार्य की पारदर्शिता पूरी तरह बनी रहे और स्कूलों में शिक्षकों की नियमित उपस्थिति भी सुनिश्चित की जा सके इसके साथ-साथ बच्चों को भी उनका अधिकार मिल सके।
लगानी होगी डिजिटल अटेंडेंस मिलेगी मामूली रियायत
कोर्ट ने कहा कि शिक्षक अगर 5 से 10 मिनट देरी से आते हैं तो उन्हें कुछ रियायत दी जा सकती है लेकिन शिक्षकों के लिए यह आदत नहीं बननी चाहिए सभी शिक्षकों को रोजाना अपने स्कूल में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा और प्रार्थना के समय अटेंडेंस ली जानी चाहिए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को ठोस नीति बनाने का निर्देश दिया है उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि जल्द से जल्द नीति तैयार करें जिससे गरीब ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके न्यायालय ने कहा कि बच्चों को शिक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 21A और 14 के तहत सुनिश्चित किया गया है इसलिए सरकार की पूरी जिम्मेदारी बनती है कि शिक्षक नियमित रूप से स्कूल में उपस्थित हों।
याचिकाकर्ता डिजिटल अटेंडेंस के लिए तैयार
बता दें इस मामले में याचिकाकर्ता इंदिरा देवी ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह भविष्य में अपनी उपस्थिति और हस्ताक्षर इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल पर दर्ज करेगी और प्रतिदिन स्कूल में उपस्थित रहेगी कोर्ट ने कहा यदि यह अंडरटेकिंग का पालन करती है और भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराती है तो उन्हें अदालत की ओर से राहत मिलेगी और आदेश को रद्द कर दिया जाएगा बता दें यह मामला बांदा की प्रधानाध्यापक इंदिरा देवी को लेकर था जिन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी इस मामले की अगली सुनवाई अब 10 नवंबर को होगी 10 नवंबर को राज्य सरकार को बताना होगा कि शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं जिसके आधार पर कोर्ट अपना अंतिम निर्णय देगी हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन अटेंडेंस की तैयारी शुरू कर दी गई है और प्रेरणा पोर्टल पर अटेंडेंस का विकल्प भी उपलब्ध कराया गया है 10 नवंबर को होने वाली सुनवाई में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर बड़ा फैसला आ सकता है हालांकि विभाग में पढ़ने वाले सभी बच्चों की डिजिटल अटेंडेंस को जरूरी कर दिया गया है लेकिन शिक्षक अभी डिजिटल अटेंडेंस लगाने के लिए तैयार नहीं हैं।

